तुम तुम तरारा चना जोर गरम बाबू - The Indic Lyrics Database

तुम तुम तरारा चना जोर गरम बाबू

गीतकार - संतोष आनंद | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर, किशोर कुमार, नितिन मुकेश | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - क्रांति | वर्ष - 1981

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ल : तुम-तुम तरारा तुम-तुम तरम
कि : तुम-तुम तरारा तुम-तुम तरम
ल : तुम-तुम तरम-तरम
कि : तुम-तुम तरम-तरम
दो : दुनिया के हों लाख धरम पर अपना एक धरम
चना ज़ोर गरम
ल : चना ज़ोर गरम बाबू मैं लाई मज़ेदार
चना ज़ोर गरम
कि : चना ज़ोर गरम बाबू मैं लाया मज़ेदार
चना ज़ोर गरमल : मेरा चना बना है आला जिसमें डाला गरम-मसाला
इसको खाएगा दिलवाला चना ज़ोर गरम
कि : मेरा चना खा गया गोरा-गोरा
खा के बन गया तगड़ा घोड़ा
मैने पकड़ के उसे मरोड़ा
मार के टंगड़ी उसको तोड़ा
चना ज़ोर गरम
चना ज़ोर गरम बाबू ...ल : मेरे चने की आँख शराबी-शराबी चने की आँख शराबी
हो इसके देखो गाल गुलाबी-गुलाबी देखो गाल गुलाबी
कि : हो इसका कोई नहीं जवाबी जैसे कोई कुड़ी पंजाबी
दो : नाचे छनन-छनन -२
ल : कोठे चढ़ के तैनू पुकारां सुन ले मेरे बलम
चना ज़ोर गरम बाबू ...नि : मेरा चना खा गए गोरे-गोरे
मेरा चना खा गए गोरे ओ गोरे
जो गिनती में थे थोड़े
ओ फिर भी मारें हमको कोड़े
ल : तुम-तुम तरम-तरम
नि : लाखों कोड़े टूटे फिर भी टूटा न दम-खम
चना ज़ोर गरम
चना ज़ोर गरम बाबू ...र : ओ मेरा चना है अपनी मर्ज़ी का
नि : मर्ज़ी का भई मर्ज़ी का
र : मेरा चना है अपनी मर्ज़ी का
नि : मर्ज़ी का भई मर्ज़ी का
र : ये दुश्मन है ख़ुदगर्ज़ी का
ख़ुदगर्ज़ी का
नि : ख़ुदगर्ज़ी का
र : सर क़फ़न बाँध कर निकला है दीवाना है ये पगला है
मेरा चना है अपनी मर्ज़ी का
नि : मर्ज़ी का भई मर्ज़ी का
अपनों से नाता जोड़ेगा ग़ैरों के सर को फोड़ेगा
अपना ये वचन निभाएगा माटी का कर्ज़ चुकाएगार : मिट जाने को मिट जाएगा आज़ाद वतन को कराएगा
ल : न तो चोरी है न तो डाका है बस ये तो एक धमाका है
नि : धमाके में आवाज़ भी है
ल : इक सोज़ भी है इक साज़ भी है
कि : समझो तो ये बात साफ़ भी है
ल : और न समझो तो राज़ भी है
र नि : अपनी धरती अपना है गगन ये मेरा है मेरा है वतन -२
इस पर जो आँख उठाएगा ज़िन्दा दफ़नाया जाएगा
र : मेरा चना है अपनी मर्ज़ी का
को : मर्ज़ी का भई मर्ज़ी का
र : ये दुश्मन है ख़ुदगर्ज़ी का
को : ख़ुदगर्ज़ी का ख़ुदगर्ज़ी का