जरा जरा बहकता है, महकता है, आज तो मेरा तनबदन - The Indic Lyrics Database

जरा जरा बहकता है, महकता है, आज तो मेरा तनबदन

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - बॉम्बे जयश्री | संगीत - राजू सिंह | फ़िल्म - तुम याद आये | वर्ष - Nil

View in Roman

जरा जरा बहकता है, महकता है, आज तो मेरा तनबदन
मैं प्यासी हूँ, मुझे भर ले अपनी बाहों में
है मेरी कसम तुझको सनम दूर कहीं ना जा
ये दूरी कहती है पास मेरे आजा रे
यूँहीं बरस बरस काली घटा बरसे
हम यार भीग जाए इस चाहत की बारिश में
मेरी खुली खुली लटों को सुलझाये, तू अपनी उँगलियों से
मैं तो हूँ इसी ख्वाईश में
सर्दी की रातों में हम सोये रहें एक चादर में
हम दोनो तनहा हो, ना कोई भी रहे इस घर में
तडपायें मुझे तेरी सभी बातें
एक बार ऐ दिवाने झूठा ही सही, प्यार तो कर
मैं भूली नहीं हसीं मुलाकातें
बेचैन कर के मुझको, मुझसे यूँ ना फेर नजर
रुठेगा ना मुझसे मेरे साथिया ये वादा कर
तेरे बिना मुश्किल है जीना मेरा मेरे दिलबर