हाई अक्षर प्रेम के जींद महिया - The Indic Lyrics Database

हाई अक्षर प्रेम के जींद महिया

गीतकार - समीर | गायक - सहगान, बाबुल सुप्रियो, अनुराधा पौडवाल | संगीत - जतिन, ललित | फ़िल्म - | वर्ष - 2000

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जिंद माहिया जिंद माहिया मेरे ढोल सिपाहिया
पल भर में जादू क्या हो गया है जिंद माहिया
क्या मैने पाया है क्या खो गया है जिंद माहिया
शर्म सी आए कैसे बताऊं
तू पढ़ ले सजन मेरी आँखों में
ढाई अक्षर प्रेम के ढाई अक्षर प्रेम के जिंद माहियारुत ने सजाई फूलों की डोलियां
बोलो तुम भी बोलो कुछ मीठी बोलियां
हँसे क्यूं काजल उड़े क्यूं आँचल मौसम को सब है पता
जाने किधर से छुप के नज़र से दिल पे कोई लिख जाए
ढाई अक्षर प्रेम के ...तड़पाना घबराना शरमाना इश्क़ है
दिलबर की चाहत में मर जाना इश्क़ है
कोई ना जानें ये सब दीवानें इश्क़ ने है सबको मारा
आग में जल गया इक परवाना कहके जलती शमा से
ढाई अक्षर प्रेम के ...प्रेमी सारे मांगें दुआएं प्यार की
मंदिर से भी आएं सदाएं प्यार की
मेरी धड़कन में तेरे भी मन में मूरत बसी प्यार वाली
दिलवालों की इन रस्मों को कसमें बनके निभाएं
ढाई अक्षर प्रेम के ...दिल के टुकड़े बिखरे दामन में फूट के
मर जाऊँ अब तेरी बाहों में टूट के
रहा ना जाए सहा ना जाए आज के जी भर के रो लें
लगन लगाई अगन लगाई रूह में प्यास जगाएं
ढाई अक्षर प्रेम के ...आंखों में बसा है बस चेहरा यार का
सांसों पे है मेरी अब पहरा यार का
दीवाने आजा हो आजा आजा हाय आए बड़ी याद तेरी
बन गई तेरी प्रेम दीवानी ऐसा पाठ पढ़ाएं
ढाई अक्षर प्रेम के ...