छाई बरखा बहार, पड़े अंगना फुहार - The Indic Lyrics Database

छाई बरखा बहार, पड़े अंगना फुहार

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - चिराग | वर्ष - 1969

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छाई बरखा बहार, पड़े अंगना फुहार
सैय्याँ आके गले लग जा, लग जा
एक तो बरखा आग लगाए
दूजे पुरवईया बान चलाए
फिर उसपे तू भी तरसाए
कोई चैना कैसे पाए
जिया लहरा के रह जाए
तोहे तके सब फिर मोहे देखे
कांकरिया नज़रों की फेंके
हुई में क्यों पानी पानी
बनी काहेको दीवानी
ये बतिया तुझको समझानी
लागी जिया की कोई ना बुझे
दूरी ना सूझे, पास ना सूझे
तेरे बिन क्या देखूँ सजना
तू ही डोले मन के आंगना
बजे चुपके चुपके कंगना