जरा नजरों से कह दो जी, निशाना चूक ना जाए - The Indic Lyrics Database

जरा नजरों से कह दो जी, निशाना चूक ना जाए

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - हेमंत कुमार | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे | वर्ष - 1995

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ज़रा नज़रों से कह दो जी, निशाना चूक ना जाये
मज़ा जब है तुम्हारी हर अदा कातिल ही कहलाये
कातिल तुम्हे पुकारूँ के जान-ए-वफ़ा कहूँ
हैरत में पड़ गया हूँ के मैं तुम को क्या कहूँ
ज़माना है तुम्हारा, चाहे जिसकी ज़िन्दगी ले लो
अगर मेरा कहा मानो तो ऐसे खेल ना खेलो
तुम्हारे इस शरारत से ना जाने किस की मौत आये
कितनी मासूम लग रही हो तुम
तुम को जालिम कहे वो झूठा है
ये भोलापन तुम्हारा, ये शरारत और ये शोख़ी
ज़रूरत क्या तुम्हे तलवार की तीरों की, खंजर की
नज़र भर के जिसे तुम देख लो वो खुद ही मर जाये
हम पे क्यो इस कदर बिगड़ती हो
छेड़नेवाले तुम को और भी हैं
बहारों पर गुस्सा, उलझती है जो आँखों से
हवाओंपर करो गुस्सा, जो टकराती है जुल्फों से
कही ऐसा ना हो कोई तुम्हारा दिल भी ले जाये