ना बोलू मैं तो कलेजा फूँके - The Indic Lyrics Database

ना बोलू मैं तो कलेजा फूँके

गीतकार - गुलज़ार | गायक - राहत फ़तेह अली खान | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - अदालत | वर्ष - 1958

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न बोलू मैं तो कलेजा फूँके
जो बोल दूं तो ज़बान जले है
सुलग ना जावे अगर सुने वो
जो बात मेरी ज़बान तले है
लगे तो फिर यूँ के रोग लागे
ना साँस आवे, ना साँस जावे
यह इश्क़ है नामुराद ऐसा
के जान लेवे तभी टले है
हमारी हालत पे कितना रोवे है
आसमान भी तू देख लीजो
के सुर्ख हो जावें उसकी आँखें भी
जैसे जैसे यह दिन ढले है