मुसाफिर हुं यारो ना घर है ना ठिकाना - The Indic Lyrics Database

मुसाफिर हुं यारो ना घर है ना ठिकाना

गीतकार - गुलजार | गायक - किशोर कुमार | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - परिचय | वर्ष - 1972

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मुसाफ़िर हूँ यारो
ना घर है ना ठिकाना
मुझे चलते जाना है, बस, चलते जाना
मुसाफ़िर...एक राह रुक गई, तो और जुड़ गई
मैं मुड़ा तो साथ-साथ, राह मुड़ गई
हवा के परों पे, मेरा आशियाना
मुसाफ़िर...दिन ने हाथ थाम के, इधर बिठा लिया
रात ने इशारे से, उधर बुला लिया
सुबह से शाम से मेरा, दोस्ताना
मुसाफ़िर...