नीलम के नाभ छैई पुखराजी झांकी - The Indic Lyrics Database

नीलम के नाभ छैई पुखराजी झांकी

गीतकार - वसंत देवी | गायक - लता मंगेशकर, सहगान, आरती मुखर्जी | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - उत्सव | वर्ष - 1984

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ल: हूँ
नीलम के नभ छाई पुखराजी झाँकी
मेरे तो नैनों में किरणों के पाखी
पाती की गोदी में सोई थी एक कलीअ: कैसे सोई होगी कली
जैसे सोई मेरी लली
कली हिली
ल: ऊँ हूँ
अ: कली डुली
ल: ना-ना
घुली-घुली बैंजनिया सपनों में एक कली
इतने में मोर-पंख परस हुआघुली-घुली बैंजनिया सपनों में एक कली
इतने में मोर-पंख परस हुआअ: कहाँ-कहाँ पे छुआ री
जरा इसे तो बता री
गालों पर
ल: ऊँ हूँ
अ: बालों पर
ल: ना-ना
इतने में मोर-पंख परस हुआ पलकों पर
जादू से फूल बनी इक कली चम्पा की
को: सच इसके नैनों में किरणों के पाखी -२ल: चम्पा के पाँवों में घुँघरू उग आये -२
अ: टहनी ने ताल दिया
थिरक-थिरक लहराये
ल: भँवरे का गंध-गीत सात सुरों वाला
को: हूँ हूँ हूँ
संत आने का होश किसे बाकी
को: हम सबके नैनों में किरणों के पाखी -३