ऊपर वाला दुखियों की नाहिन सुनाता रे - The Indic Lyrics Database

ऊपर वाला दुखियों की नाहिन सुनाता रे

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - दिलीप कुमार, किशोर कुमार | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - सगीना | वर्ष - 1974

View in Roman

कि : ऊपर वाला दुखियों की नाहीं सुनता रे
दि : सोता है बहुत जागा है ना
कि : ऊपर वाला दुखियों की नाहीं सुनता रे
कौन है जो उसको गगन से उतारे
बन-बन-बन मेरे जैसा बन
इस जीवन का यही है जतन साला यही है जतनदि : अरे ग़म की आग बुझाना है तो हमसे सीखो यार
आग लगी
कि : आग लगी हमरी झोपड़िया में हम गावें मल्हार
देख भाई कितने तमाशे की ज़िन्दगानी हमारहे भोले-भाले ललवा खाए जा रोटी बासी
दि : अरे ये ही खा के जवान होगा बेटा
कि : भोले-भाले ललवा खाए जा रोटी बासी
बड़ा हो के बनेगा साहेब का चपरासी
खेल-खेल-खेल माटी में होली खेल
गाल में गुलाल है न ज़ुल्फ़ों में तेल
दि : अरे अपनी भी जवानी क्या है सुना तेने यार
आग लगी
कि : आग लगी हमरी ...हे सजनी तू काहे आई नगरी हमारी
दि : चल जा भाग जा भाग
कि : सजनी तू काहे आई नगरी हमारी
धरे सा बिदेसी बाबू बहियाँ तुम्हारी
थाम-थाम-थाम गोरी ज़रा थाम
नाहीं लुट जाएगी राम कसम
दि : अरे केहूं नाहीं आएगा रे सुन के पुकार
आग लगी
कि : आग लगी हमरी ...