हमसे का भुल हुई - The Indic Lyrics Database

हमसे का भुल हुई

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - अनवर | संगीत - राजेश रोशन | फ़िल्म - जनता हवलदार | वर्ष - 1979

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हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली -२
अब तो चारों ही तरफ़ बंद है दुनिया की गली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिलीदिल किसी का न दुखे हमने बस इतना चाहा
पाप से दूर रहे झूठ से बचना चाहा -२
उसका बदला ये मिला उलटी छुरी हमपे चली
अब तो चारों ही तरफ़ बंद है दुनिया की गली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिलीहमपे इलज़ाम ये है चोर को क्यूँ चोर कहा
क्यूँ सही बात कही काहे न कुछ और कहा -२
ये है इनसाफ़ तेरा वाह रे दाता की गली
अब तो चारों ही तरफ़ बंद है दुनिया की गली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिलीअब तो इमान धरम की कोई कीमत ही नहीं
जैसे सच बोलने वालों की ज़रूरत ही नहीं -२
ऐसी दुनिया से तो दुनिया तेरी वीरान भली
अब तो चारों ही तरफ़ बंद है दुनिया की गली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली -२ठोकरें हमको क़ुबूल राह किसी को मिल जाये
हम हुये ज़खमी तो क्या दूजे का गुलशन खिल जाये -२
दाग़ सब हमको मिले यार को सब फूल कली -२ज़िंदगानी की शमा बुझ के अगर रह जाये
ये समझ लेंगे के हम आज किसी काम आये -२
जोत अपनी जो बुझी यार के जीवन में जली -२