आग है लगी हुई हर तराफ यहाँ वाहन - The Indic Lyrics Database

आग है लगी हुई हर तराफ यहाँ वाहन

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, सहगान | संगीत - राजेश रोशन | फ़िल्म - स्वर्ग नरक | वर्ष - 1978

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आग है लगी हुई
( आग है लगी हुई हर तरफ़ यहाँ वहाँ
जल रही है ये ज़मीं जल रहा है आसमाँ ) -२
आग है लगी हुईदिल क्या है
काँच का खिलौना है
सप्न एक सलोना है
( दिल बड़ा नाज़ुक है ये टूट ना जाये कहीं
खेलते हैं दिल से जो ये ख़बर उनको नहीं ) -२
दिल गया तो क्या रहा दिल के साथ है जहाँजल रही है ये ज़मीं जल रहा है आसमाँ
आग है लगी हुईचीज़ क्या है प्यार ये
इक दवा है यार ये
ये दवा कभी कभि ग़म का जाम बन गई
ज़िंदगी की हर सुबह एक शाम बन गई
रोशनी चली गई
रोशनी चली गई रह गया धुआँ धुआँजल रही है ये ज़मीं जल रहा है आसमाँडोर टूट जाती है
जोड़े गाँठ आती है
( शादी और ब्याह है रिश्ता ऐतबार का
सात जनम के वास्ते एक वादा प्यार का ) -२
एक पल में हो गये
एक पल में हो गये फिर भी लोग बदगुमाँजल रही है ये ज़मीं जल रहा है आसमाँ
( आग है लगी हुई हर तरफ़ यहाँ वहाँ
जल रही है ये ज़मीं जल रहा है आसमाँ ) -२