सबसे कहते हैं ओ जट्टा आइ बैसाखियां - The Indic Lyrics Database

सबसे कहते हैं ओ जट्टा आइ बैसाखियां

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, मुकेश | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - ईमान धर्म | वर्ष - 1977

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सबसे कहते हैं ये घायल हाथ ये टूटी टांग हम दे सकते हैं
जानें हम क्या लोगों से माँगें -२
जो औरों पे मर सकते हैं वो अपनी मदद कर सकते हैंतुम हम पे मत एहसान करो ये धन-दौलत न दान करो
हम तो नौकर सरकार के हैं बस भूखे प्यार के हैं
हम में कोई लाचार नहीं हम आशिक़ हैं बीमार नहीं
सब भाषण उसके याद कर ले पहले उस दिन को याद कर ले
जब जंग छिड़े बारूद फटे सब अपने घरों में सोए रहे
हम जागे खड़े करने सबकी राखी
ओ जट्टा आई बैसाखीगाँव में जब मेला लागे होती ख़ूब कबड्डी
बड़े-बड़े को मैं गिरा देता मार के अड्डी
कबड्डी -४
जब मैं गुज़रता बाज़ारों से सब झाँकते चौबारों से
इक कुड़ी इशारे करती सी वो मेरे चलन पे मरती सी
वो रह गई बस आहें भरती पिंड छोड़ के हम हो गए भरती
दिखला ज़ोर जवानी का शौक़ हमें क़ुर्बानी का
हम आए इन्हीं उम्मीदों में करें अपना नाम शहीदों में
जब दिल की लगी आया मौक़ा दुश्मन ने दिया बड़ा धोखा
दिल के बदले पाँव पे गोली मारी
कि सवालों की हाय जहाँ आई सी
ओ जट्टा आई ...आज भी हम तेरी चाल पे हम क़ुर्बान वतन दे शेरा
हम बिक जाएँ फिर भी तेरा कर्ज़ा चुका न पाएँ तेरा
तूने अपना फ़र्ज़ निभाया अपना फ़र्ज़ बाकी
ओ जट्टा आई ...