पवन चले तो उथे नदी में लहार एसआईआई - The Indic Lyrics Database

पवन चले तो उथे नदी में लहार एसआईआई

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - बंबई का बाबू | वर्ष - 1960

View in Roman

आ: पवन चले तो उठे नदी में लहर सी
को: अरे मेरे बेलियाँ नदी में लहर सी
आ: हम जो चलें तो उठे चुन्नी में ?? लहर सी
को: अरे मेरे बेलियाँ चुन्नी में लहर सी
आ: फिर भी ये पूछे है तुझसे जिया कैसे मन में लहर उठे
बोल मुँदेया
को: कैसे मन में लहर उठे बोल मुँदेया, कैसे मन में लहर
उठे आर: मन में लहर उठे किसी की अदाओं से
को: अरे माँ मेरीये किसीकी अदाओं से
र: बिजली चमक जाए गहरी घटाओं से
को: अरे माँ मेरीये गहरी घटाओं से
र: फिर भी बताओ बिन बादल के कैसे बिजली चमक जाए बोल
कुड़ीये
को: कैसे बिजली जाए बोल कुड़ीये, कैसे बिजली चमक जाए आआ: बिजली चमक जाए गोरियों की चाल से
को: अरे मेरी बेलियाँ गोरियों की चाल से
आ: शोला सा भड़क जाये घुंघरू की ताल से
को: अरे मेरे बेलिया घुंघरू की ताल से
आ: फिर भी ये पुछे है तुझसे जिया कैसे घुंगरू की ताल
पड़े बोल मुँदेया
को: कैसे घुंगरू की ताल पड़े बोल मुँदेया, कैसे घुंगरू की
ताल पड़े आर: घुंघरू की ताल पड़े दिल पे जिगर पे
को: अरे माँ मेरिये दिल पे जिगर पे
र: किसी की नज़र मिले किसी की नज़र से
को: अरे माँ मेरिये किसी की नज़र से
र: आगे हो फिर क्या नज़र मिल के
कछु कहा नहीं जाए तुही बोल कुड़िये
को, र: कछु कहा नहीं जाए तुही बोल कुड़िये, कछु कहा
नहीं जाए तुही बोल आआ: कहा नहीं जाए कछु दुनिया के डर से
को: अरे मेरी बेलियाँ दुनिया के डर से
आ: सुन जो सको तो सुनो किसी की नज़र से
को: अरे मेरे बेलिया किसी की नज़र से
आ: फिर भी ये पूछे है तुझसे जिया तेरी समझ में आया
कछु बोल मुंदेया
को: तेरी समझ में आया कछु बोल मुंदेया, तेरी समझ में
आया कछु बोल आ