उड़ जा काले कांवां ओ घर आजा परदेसी - The Indic Lyrics Database

उड़ जा काले कांवां ओ घर आजा परदेसी

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - अलका याज्ञनिक, उदित नारायण, निहार एस. | संगीत - उत्तम सिंह | फ़िल्म - गदर - एक प्रेम कथा | वर्ष - 2001

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उड़ जा काले कांवां तेरे मुँह विच खंड पावां
ले जा तू संदेसा मेरा मैं सदके जावां
बागों में फिर पड़ गए झूले पक गइयां मिठियां अ.म्बियां
ये छोटी सी ज़िंदगी ते रातां लम्बियां लम्बियां
ओ घर आजा परदेसी के तेरी मेरी इक जिंदड़ीहो हो छम छम करता आया मौसम प्यार के गीतों का
रस्ते पे अँखियाँ रस्ता देखें बिछड़े मीतों का
सारी सारी रात जगाएं मुझको तेरी यादें
मेरे सारे गीत बने मेरे दिल की फ़रियादें
ओ घर आजा परदेसी ...उड़ जा काले कांवां तेरे मुँह विच खंड पावां
ले जा तू संदेसा मेरा मैं सदके जावां
बागों में फिर पड़ गए झूले पक गइयां मिठियां अ.म्बियां
ये छोटी सी ज़िंदगी ते रातां लम्बियां लम्बियां
ओ घर आजा परदेसी के तेरी मेरी इक जिंदड़ीहो हो कितनी दर्द भरी है तेरी मेरी प्रेम कहानी
सात समुंदर जितना अपनी आँखों में है पानी
मैं दिल से दिल मुझसे करता हो
मैं दिल से दिल मुझसे करता है जब तेरी बातें
सावन आने से पहले हो जाती हैं बरसातें
ओ घर आजा परदेसी ...परवत कितने ऊँचे कितने गहरे होते हैं ओ
कुछ मत पूछो प्यार पे कितने पहरे होते हैं
इश्क़ में जाने क्या हो जाता है ये रब ही जाने
तोड़ के सारी दीवारें मिल जाते हैं दीवाने
ओ ले जा मुझे परदेसी के तेरी मेरी इक जिंदड़ी
हाँ ले जा मुझे परदेसी ...उड़ जा काले कांवां तेरे मुँह विच खंड पावां
ले जा तू संदेसा मेरा मैं सदके जावां
बागों में फिर पड़ गए झूले पक गइयां मिठियां अ.म्बियां
ये छोटी सी ज़िंदगी ते रातां लम्बियां लम्बियां
ओ घर आजा परदेसी के तेरी मेरी इक जिंदड़ीछम छम करता आया मौसम प्यार के गीतों का हो
रस्ते पे अँखियाँ रस्ता देखें बिछड़े मीतों का
आज मिलन की रात न छेड़ो बात जुदाई वाली
मैं चुप तू चुप प्यार सुने बस प्यार ही बोले खाली
ओ घर आजा परदेसी ...ओ मितरा ओ यारा यारी तोड़के मत जाना हो
मैने जग छोड़ा तू मुझको छोड़के मत जाना
ऐसा हो नहीं सकता हो जाए तो मत घबराना
मैं दौड़ी आऊंगी तू बस इक आवाज़ लगाना
ओ घर आजा परदेसी ...