कर चले हम फिदा जान-ओ-तन साथियों - The Indic Lyrics Database

कर चले हम फिदा जान-ओ-तन साथियों

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - हकीकत | वर्ष - 1964

View in Roman

कर चले हम फिदा जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को ना रुकने दिया
कट गए सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने ना झुकने दिया
मरते मरते रहा बाँक़पन साथियों
अब तुम्हारे हवाले, वतन साथियों
ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज़ आती नहीं
हुस्न और इश्क़ दोनो को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
राह क़ुर्बानियों की ना वीरान हो
तुम सजाके ही रहना नए काफिले
फतह का जश्न इस जश्न के बाद है
ज़िंदगी मौत से मिल रही है गले
बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर
इस तरफ आने पाए ना रावण कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छूने पाए ना सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों