मुहब्बत पुरुष रस्ते वो पेश आ रह हैं - The Indic Lyrics Database

मुहब्बत पुरुष रस्ते वो पेश आ रह हैं

गीतकार - नीलकंठ तिवारी | गायक - अनिल बिस्वास | संगीत - बसंत कुमार | फ़िल्म - लाला जी | वर्ष - 1942

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मुहब्बत में रस्ते वो पेश आ रहे हैं
कि रुकते झिझकते चले जा रहे हैंपता अपनी मंज़िल का दिल जाने, हम तो
लिए जा रहा है, चले जा रहे हैंये मेरे ही दिल की सदा तो नहीं है
कोई कह रहा है कि वो आ रहे हैंमिटाए मिटेगी ना हस्ती वफ़ा की
नए नक्श बनते चले जा रहे हैंडुबो देगी क्या 'आरज़ू' शर्म-ए-उल्फ़त
बराबर पसीने चले आ रहे हैं