छलकें तेरी आँखों से शराब और ज्यादा - The Indic Lyrics Database

छलकें तेरी आँखों से शराब और ज्यादा

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - आरजू | वर्ष - 1965

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छलके तेरी आँखों से शराब और ज़्यादा
खिलते रहे होठों के गुलाब और ज़्यादा
क्या बात है जाने तेरी महफ़िल में सितमगर
धड़के है दिल-ए-खाना खराब और ज़्यादा
इस दिल में अभी और भी ज़ख़्मों की जगह है
अबरू की कटारी को दो आब और ज़्यादा
तू इश्क के तूफान को बाहों में जखड़ ले
अल्लाह करे ज़ोर-ए-शबाब और ज़्यादा