कांची रे, कांची रे - The Indic Lyrics Database

कांची रे, कांची रे

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता - किशोर | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - हरे राम हरे कृष्णा | वर्ष - 1971

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कांची रे, कांची रे, प्रीत मेरी सांची
रुक जा, न जा दिल तोड़ के
तेरे हाथों में है मेरी डोरी जैसे
कच्चे धागे से मैं बंधा आया ऐसे
मुश्किल है जीना, दे दे ओ हसीना
वापस मेरा दिल मोड़ के
कांची रे, कांची रे, प्रीत मेरी सांची
रुक जा, न जा, दिल तोड़ के
झूठा है ये गुस्सा तेरा सच्चा नहीं
सच्चे प्रेमी को तड़पाना अच्छा नहीं
वापस ना आऊँगा मैं जो चला जाऊँगा
ये तेरी गलियाँ छोड़ के
कांचा रे, कांचा रे, प्यार मेरा सांचा
रुक जा, ना जा, दिल तोड़ के
रंग तेरे में ये तन रंग लिया
तन क्या है मैने मन रंग लिया
बस चुप ही रहना, अब फिर ना कहना
रुक जा न जा दिल तोड़ के
कांचा रे, कांचा रे, प्यार मेरा सांचा
रुक जा, न जा, दिल तोड़ के