काली घटा छाए, मोरा जिया तरसाए - The Indic Lyrics Database

काली घटा छाए, मोरा जिया तरसाए

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - आशा भोसले | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - सुजाता | वर्ष - 1959

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काली घटा छाए, मोरा जिया तरसाए
ऐसे में कही कोई मिल जाए
बोलो किसी का क्या जाए रे, क्या जाए रे, क्या जाए
हूँ मैं कितनी अकेले वो ये जानके
मेरे बेरंग जीवन को पहचान के
मेरे हाथों को थामे, हँसे और हँसाए
मेरा दुःख भूलाए, किसी का क्या जाए
यूँ ही बगियाँ में डोलू मैं खोयी हुई
ना तो जागी हुई सी, ना सोयी हुई
मेरे बालों में कोई धीरे से आए
कली टांक जाए, किसी का क्या जाए
उसकी राहें तकूँ, तलमलाती फिरूँ
हर आहट पे नैना बिछाती फिरूँ
वो जो आएगा कल ना क्यों आज आए
मेरा मन बसाए, किसी का क्या जाए