मेरे मन का बावरा पंछी क्यों बार बार डोले - The Indic Lyrics Database

मेरे मन का बावरा पंछी क्यों बार बार डोले

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - लता | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - अमर दीप | वर्ष - 1958

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मेरे मन का बावरा पंछी क्यों बार बार डोले
सपनों में आज किस का वो बहके प्यार डोले
मेरे मन का
किस के खयाल में ये नज़रें झुकी झुकी हैं
देखो इधर भी लब पर आहें रुकी रुकी हैं
तुम हो क़रार जिस दिल का
वही बेक़रार डोले
मेरे मन का
दिल को लगन है उसकी मीठी नज़र है जिसकी
हम पास हैं तुम्हारे फिर दिल में याद है किस की
तुम जो नज़र मिलाओ
दिल में बहार डोले
मेरे मन का
कब से खड़े हुए हैं कह दो तो लौट जाएं
तुम्हे दूर ही से देखें हर दिल न पास आये
आँखों में ज़िंदगी भर तक
तेरा इंतज़ार डोले
मेरे मन का