कुशी की आस रही दिल को और कुशी ना हुई - The Indic Lyrics Database

कुशी की आस रही दिल को और कुशी ना हुई

गीतकार - आरज़ू लखनवी | गायक - खान मस्ताना | संगीत - खेमचंद प्रकाश | फ़िल्म - सावन आया रे | वर्ष - 1949

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ख़ुशी की आस रही दिल को और ख़ुशी न हुई
मैं देखूं चाँद चमकता हो, रात ही न हुईअँधेरी रात है तारे हैं चाँद और न चिराग़
जलाने बेठे जो दिल भी तो रोशनी न हुईये दिल का दर्द भी होता है कितना गहरा दर्द
जतन हज़ार किये दर्द में कमी न हुईचमन में अब भी बहारें तो जगमगातीं हैं
बहार चाहिये जो दिल को बहार ही न हुई