जल रही - The Indic Lyrics Database

जल रही

गीतकार - मनोज मुंतशिर | गायक - कैलाश खेर | संगीत - एम. एम. करीम | फ़िल्म - बाहुबली – दि बिगिनिंग | वर्ष - 2015

Song link

View in Roman

जल रही है चिता 
साँसों में है धुआँ 
फिर भी आस मन में है जगी 

भोर होगी क्या, कभी यहाँ.. 
पूछती यही ये बेड़ियाँ 
देख तो.. कौन है ये ? 

महिस्हमति समराज्यम
सर्वोत्तम प्रचेयम 
दसो दिशाएं आठेयम 
सब इसको करते प्रणाम 

खुशाली वैभवशाली 
समृधियाँ निराली 
धन्य धन्य है यहाँ प्रचार 
शक्ति का ये स्वर्ग था 

घन गरज जो कितके यहाँ 
दिग दिगंत में है कहाँ 
शीश तो यहाँ झुका ज़रा 
यशास्वीनी है ये धरा 

महिष्मति की पताका 
सदा यूँही गगन चूमे 
अश्व्दो और सूर्यदेव मिलके 
स्वर्ग सिंघासन विराजे