नैनन में बारासात मन में काजल काली रातो - The Indic Lyrics Database

नैनन में बारासात मन में काजल काली रातो

गीतकार - नरेंद्र शर्मा | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - स्नेहल भटकर | फ़िल्म - नंद किशोर | वर्ष - 1951

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नैनन में बरसात मन में काजल काली रात -२
अंधकार ही अंधकार है दिवस रैन बन जात -२
नैनन में बर्सात मन में काजल काली रातहो~~ओओओ~~ओओ~ओओ~ओ~ओओ~~ओ~~ओ
प्रीत करूं या रीत निभाऊं -२
मन की सुनु य तन की
माटी की माला देखूं या शोभा मन मधुबन कि
शोभा मन मधुबन की
( प्राणों का हंस व्याकुल है
बिरहा सहा नहीं जात ) -२
नैनन में बर्सात मन में काजल काली रातहो~~ओओओ~~ओओ~ओओ~ओ~ओ
एक और देखेंगे नाते अलख दूसरी और
अंखियां चन्द्र चकोर बनी है
चन्दा नन्द किशोरे -२
( अंसुअन में ज़रते अंगारे
दुख नहीं नैन समात ) -२
नैनन में बर्सात मन में काजल काली रात