कुवें में कूद के मर जाना - The Indic Lyrics Database

कुवें में कूद के मर जाना

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - किशोर | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - परिवार | वर्ष - 1956

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( कुवें में ) कूद के मर जाना
यार तुम शादी मत करना
मत करना
कुवें में कूद के
देखी दिल्ली की एक लड़की जिसको देख तबीयत फड़की
मुख से आह निकल गई ठंडी अन्दर-अन्दर आग सी भड़की
उसका नाम घराना पूछा उसका ठौर-ठिकाना पूछा
अपने दिल की उमंगे लेकर पहुँचा मैं उसके बंगले पर
जाते ही झुक के सलाम बजाया daddy को दिल का बयान सुनाया
भोले-भाले daddy बोले हाँ हाँ जी
हाँ हाँ जी
अच्छा ख़्याल है आपका दीजिए मुझे पता अपने बाप का
आपके बाप को चिट्ठी के ज़रिए बता दूँगा
जी अच्छा ख़्याल है आपका
चाय पिलाऊँ के ठंडा मंगाऊँ ओय होय ओय होय
चाय पिलाऊँ के ठंडा मंगाऊँ
के मुरगी के अंडे की भुरजी बनाऊँ
चाय पिलाऊँ के ठंडा मंगाऊँ
के अंडे खिलाउँ के भुरजी बनाऊँ
हँस कर जब वो लड़की बोली मेरे दिल पे चल गई गोली
मेरे मन के बताशे टूटे आखिर मान गए प्रभु रूठे
तेरी जय-जय हो करतार
हो तेरी जय-जय हो करतार हो
तेरी जय-जय हो करतार
अरे बाप रे
इतने में आ गया उसका भाई ज़ालिम निकला बड़ा ही कसाई
कहने लगा
मुँह और मसूर की दाल वे ( निकल जा ) यहाँ से चंडाल के बच्चे
( उसका भाई था बाक्सर भारी ) उसने की हमले की तैयारी
मैं तो दुम को दबाकर भागा रस्ते में बोला मन का कागा
क्या क्या
( कुवें में ) कूद के मर जाना