कैसी हसीन आज बहारों की रात है - The Indic Lyrics Database

कैसी हसीन आज बहारों की रात है

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - रफी - महेंद्र कपूर | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - आदमी | वर्ष - 1968

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कैसी हसीन आज बहारों की रात है
एक चाँद आसमां पे है, एक मेरे साथ है
ओ देनेवाले तू ने तो कोई कमी न की
अब किसको क्या मिला ये मुक़द्दर की बात है
छाया है हुस्न-ओ-इश्क़ पे एक रंग-ए-बेखुदी
आते हैं ज़िन्दगी में ये आलम कभी कभी
हर ग़म को भूल जाओ, ख़ुशी की बारात है
एक चाँद आसमान पे है, एक मेरे साथ है
आई है वो बहार के नग्में उबल पड़ें
ऐसी ख़ुशी मिली है, के आँसू निकल पड़ें
होठों पे हैं दुआएँ, मगर दिल पे हाथ है
अब किसको क्या मिला, ये मुक़द्दर की बात है
मस्ती सिमट के प्यार के गुलशन में आ गई
मेरी खुशी भी आप के दामन में आ गई
भँवरा कली से दूर नहीं साथ साथ है
अब किसको क्या मिला, ये मुक़द्दर की बात है