गीतकार - विश्वेश्वर शर्मा | गायक - कुमार शानू, साधना सरगम | संगीत - नदीम, श्रवण | फ़िल्म - पनाह | वर्ष - 1992
View in Romanथोड़ा मटके से पानी ज़रा दे गोरिए
मैं तो कब से हूँ प्यासा खड़ा गोरिए
जा जा मटकी ना छूना जवान छोरे
पानी पीने के बहाने डालेगा डोरेगहरे गहरे कुंवे का ठंडा ठंडा पानी
थोड़ा सा पिला दे तेरी होगी मेहरबानी
तू है हरजाई तेरी झूठी है कहानी
चोर लफ़ंगे तुझे ( कौन दे जवानी ) -२
कोई रस्ता हमें भी दिखा दे गोरिए
मैं तो कब से खड़ा ...यूँ ही चला जाऊँगा बहुत पछताएगी
ऐसा दिलवाला कहीँ ढूँढे से न पाएगी
जाएगा तू कैसे मैं जाने नहीं दूँगी
प्यार से रोकूँगी ( नज़र से पिलाऊँगी ) -२
ला पिला दे पिला दे पिला दे गोरिए
पूरी मटकी का पानी पिला दूँ छोरे