ये तारा वो तारा हर तारा - The Indic Lyrics Database

ये तारा वो तारा हर तारा

गीतकार - समीर | गायक - उदित नारायण | संगीत - अनु मलिक | फ़िल्म - चोरी चोरी चुपके चुपके | वर्ष - 2001

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ये तारा वो तारा हर तारा
देखो जिसे भी लगे प्यारा
ये सब साथ में, जो हैं रात में
तो झगमगाया आसमान सारा
झगमग तारें, दो तारें, नौ तारें, सौं तारें
झगमग सारे, हर तारा है शरारा
तुमने देखी है धनक तो, बोलो रंग कितने हैं
सात रंग कहने को, फिर भी संग कितने हैं
समझो सबसे पहले तो, रंग होते अकेले तो
इंद्रधनुष्य बनता ही नहीं
एक न हम हो पाए तो, अन्याय से लड़ने को
होगी कोई जनता ही नहीं
फिर न कहना, निर्बल है क्यों हारा
बूँद बूँद मिलने से बनता एक दर्या है
बूँद बूँद सागर है, वर्ना ये सागर क्या है
समझो इस पहेली को, बूँद हो अकेली तो
एक बूँद जैसे कुछ भी नहीं
हम औरो को छोडे तो, मूँह सबसे ही मोडे तो
तनहा रहना जाए देखो हम कहीं
क्यों न बने मिलके हम धारा
जो किसान हल संभाले, धरती सोना ही उगाये
जो ग्वाला गैया पाले, दुध की नदी बहाये
जो लोहार लोहा ढ़ाले, हर औज़ार ढ़ल जाये
मिट्टी जो कुंभार उठाले, मिट्टी प्याला बन जाये
सब ये रूप है मेहनत के, कुछ करने की चाहत के
किसी का किसी से कोई बैर नहीं
सब के एक ही सपने हैं, सोचो तो सब अपने हैं
कोई भी किसी से यहाँ गैर नहीं
सिधी बात है, समझो यारा