अंधेरी रात में हम और तुम - The Indic Lyrics Database

अंधेरी रात में हम और तुम

गीतकार - अंजुम | गायक - कविता कृष्णमूर्ति, अभिजीत | संगीत - देवांग पटेल | फ़िल्म - जूही | वर्ष - 1997

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अंधेरी रात में हम और तुम
हाथों में हाथ है होश हैं गुम
भीगा मौसम मस्त समां है
तुम हसीं तो हम भी जवां हैं
ऐसे में अब होश कहां है
आँखों में बस जोश रहा है
अंधेरी रात में ...ज़मीं पे प्यार की बेहोशी देखो छाने लगी
रिमझिम रिमझिम बरसात गाने लगी
भीनी खुश्बू भी हवाओं में से ऐसे मिलने लगी
मस्ती में मस्त बंद कलियाँ भी खिलने लगीं
होए ज़मीं पे प्यार की बेहोशी देखो छाने लगी
एक तो है ये मौसम सुहाना और है ये दिल भी दीवाना
देखो मौक़ा ये ना गंवाना बतलाना ना कोई बहाना
अंधेरी रात में ...हर इक दिल को मिला दूजे दिल का साथ है
दिल जो बेजुबां तो नज़रों में बात है
ये ज़रूरी है कहना बात कुछ खास है
धड़कन तेज है और होंठों पे प्यास है
ओए हर इक दिल को मिला दूजे दिल का साथ है
इक चेहरे में दूजे का साया मनचाहा जब साथी पाया
जादू प्यार का ऐसा छाया चाँद भी देखो शरमाया
अंधेरी रात में ...