ये शाम मस्तानी, मदहोश किए जाए - The Indic Lyrics Database

ये शाम मस्तानी, मदहोश किए जाए

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - तेरे घर के सामने | वर्ष - 1963

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ये शाम मस्तानी, मदहोश किये जाए
मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिए जाए
दूर रहती है तू, मेरे पास आती नहीं
होठों पे तेरे, कभी प्यास आती नहीं
ऐसा लगे जैसे के तू, हँस के जहर कोई पिए जाए
बात जब मैं करूँ, मुझे रोक देती है क्यों
तेरी मीठी नजर, मुझे टोक देती है क्यों
तेरी हया, तेरी शर्म, तेरी कसम मेरे होंठ सिये जाए
एक रूठी हुई, तकदीर जैसे कोई
खामोश ऐसे है तू, तस्वीर जैसे कोई
तेरी नजर बनके जुबां लेकिन तेरे पैगाम दिए जाए