सावन बरसे तरसे दिल, क्यों ना निकले घर से दिल - The Indic Lyrics Database

सावन बरसे तरसे दिल, क्यों ना निकले घर से दिल

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - साधना सरगम - हरिहरन | संगीत - Nil | फ़िल्म - दहक | वर्ष - 1999

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सावन बरसे, तरसे दिल, क्यों ना निकले घर से दिल
बरखा में भी दिल प्यासा है, ये प्यार नहीं तो क्या है
देखो कैसा बेकरार है भरे बाजार में
यार एक यार के इंतजार में
एक मोहब्बत का दीवाना, ढूंढता सा फिरे
कोई चाहत का नज़राना, दिलरुबा के लिये
छमछम चले पागल पवन, आये मज़ा भीगे बलम
भीगे बलम, फिसले कदम, बरखा बाहर में
एक हसीना इधर देखो कैसी बेचैन है
रास्तेपर लगे कैसे उस के दो नैन है
सच पूछिये तो मेरे यार, दोनों के दिल बेइख्तियार
बेइख्तियार, है पहली बार, पहली बहार में