बक़ा-ए-दिल के लिए ज्यूँ लहू ज़रूरी है - The Indic Lyrics Database

बक़ा-ए-दिल के लिए ज्यूँ लहू ज़रूरी है

गीतकार - Nil | गायक - Nil | संगीत - Nil | फ़िल्म - Nil | वर्ष - Nil

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दिल की बात मुँह तक लाकर अब तक हम दुःख सहते हैं
हममे सुना था इस बस्ती में दिलवाले भी रहते हैं
एक हमें आवारा कहना कोई बड़ा इल्ज़ाम नहीं
दुनिया वाले दिल वालों को और बहुत कुछ कहते हैं
बक़ा-ए-दिल के लिए ज्यूँ लहू ज़रूरी है
इसी तरह मेरे जीवन में तू ज़रूरी है
ये अक्ल वाले नहीं अहल-ए-दिल समझते हैं
कि क्यों शराब से पहले वुज़ू ज़रूरी है
ख़ुदा को मुँह भी दिखाना है एक दिन यारों
वफ़ा मिले ना मिले जुस्तजू ज़रूरी है
कली उम्मीद की खिलती नहीं हर एक दिल में
हर एक दिल में मगर आरज़ू ज़रूरी है
है एहतराम भी लाज़िम कि ज़िक्र है उसका
जिगर का चाक भी होना रफ़ू ज़रूरी है