सर पर टोपी लाल, हाथ में रेशम का रुमाल - The Indic Lyrics Database

सर पर टोपी लाल, हाथ में रेशम का रुमाल

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - आशा - रफी | संगीत - ओ. पी. नय्यर | फ़िल्म - तुमसा नहीं देखा | वर्ष - 1957

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सर पर टोपी लाल, हाथ में रेशम का रुमाल, हो तेरा क्या कहना
गोरे-गोरे गाल, गाल पे उलझे-उलझे बाल, हो तेरा क्या कहना
मेरा दिल ओ जान-ए-जा, चुरा के चली कहाँ, नशे में भरी भरी
चुराऊँ मैं दिल तेरा, जिगर भी नही मेरा, उमर भी नही मेरी
बहकी बहकी चाल चाल हाए लचके जैसे ड़ाल, हो तेरा क्या कहना
ये क्यों दिल पे हाथ है, वो क्या ऐसी बात है, हमें भी बताईये
भला इतनी दूर से कहूँ क्या हुजूर से मेरे पास आईये
हो हो के बेहाल बालमा ये शतरंजी चाल हो तेरा क्या कहना
तमन्ना थी कम से कम कोई फूल बनके हम तेरी ज़ुल्फ़ चूमते
रही आरज़ू सनम तेरा रूप लेके हम शराबी से झूमते
बहकी बहकी चाल चाल हाए लचके जैसे ड़ाल, हो तेरा क्या कहना