सर जो तेरा चकराए - The Indic Lyrics Database

सर जो तेरा चकराए

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - प्यासा | वर्ष - 1957

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सर जो तेरा चकराए
या दिल डूबा जाए
आजा प्यारे पास हमारे काहे घबराए काहे घबराए
तेल मेरा है मुस्की
गंज रहे ना खुस्की
जिसके सर पर हाथ फिरा दूँ चमके किस्मत उसकी
सुन सुन सुन अरे बेटा सुन
इस चम्पी में बड़े बड़े गुन
लाख दुःखों की एक दवा है
क्यों ना आजमाए
काहे घबराए काहे घबराए
प्यार का होवे झगड़ा
या बिज़नेस का हो रगड़ा
सब लफड़ो का बोझ हटे जब पड़े हाथ एक तगड़ा
सुन सुन सुन अरे बाबू सुन
इस चम्पी में बड़े बड़े गुन
लाख दुःखों की एक दवा है
क्यों ना आजमाए
काहे घबराए काहे घबराए
नौकर हो या मालिक
लीडर हो या पब्लिक
अपने आगे सभी झुके है क्या राजा क्या सैनिक
सुन सुन सुन अरे राजा सुन
इस चम्पी में बड़े बड़े गुन
लाख दुःखों की एक दवा है
क्यों ना आजमाए
काहे घबराए काहे घबराए