ये समा ये नज़ारे खो गये हैं - The Indic Lyrics Database

ये समा ये नज़ारे खो गये हैं

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - जतिन - ललित | फ़िल्म - आह | वर्ष - 1953

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ये समा ये नज़ारे खो गये हैं
हम कसम से तुम्हारे हो गये हैं
रहता है दिल जाने कहाँ
बेताब से हम हैं यहाँ
जुबां पे, इन लबों पे बस तेरा नाम है
बेगाने इस जहां से क्या हमें काम हैं
अजी तुमसे जबसे मोहब्बत हुई
हमारी अजब सी ये हालत हुई
तुमने खता की दिल लुटने की
तुमको मिली है इस की सज़ा
दुअाँ में तुम्हे माँगना आ गया
हमें रातभर जागना आ गया
सच कह रहे हैं दर्द-ये-जिगर का
होता है दिलबर अपना मज़ा
हमें बाजूओ में छुपा लो सनम
ये चाहत है कैसी बताओ सनम
डर लग रहा है मदहोशियों में
हम कर ना बैठे कोई खता