मुबारकबाद देने को कुशियों के चंद मुस्कुराये रे - The Indic Lyrics Database

मुबारकबाद देने को कुशियों के चंद मुस्कुराये रे

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - मयूर पंखु | वर्ष - 1953

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मुबारकबाद देने को हवा बाग़ों से आई है
बहारें सारी दुनिया की वो अपने साथ लाई हैख़ुशियों के चाँद मुस्कुरये रे ओ
ख़ुशियों के चाँद मुस्कुरये रे
देखो मस्त ज़माने आये रे हाय रे
ख़ुशियों के चाँद मुस्कुरये रेनशीली बहारों में दिल खो रहा है
दिल खो रहा है
निगाहों से मतलब अदा हो रहा है -२
अदा हो रहा है
होंठों पे बात दिल की आये रे ओ ओ ओ -२देखो मस्त ज़माने आये रे हाय रे
ख़ुशियों के चाँद मुस्कुरये रेख़ुशी प्यार बन के झुकी जा रही है
झुकी जा रही है
मोहब्बत की महफ़िल लुटी जा रही है -२
लुटी जा रही है
आँखों में रात झूमे जाये रेदेखो मस्त ज़माने आये रे हाय रे
ख़ुशियों के चाँद मुस्कुरये रेमुहब्बत का इनपे असर हो गया है
असर हो गया है
उधर हो चुका है इधर हो रहा है -२
इधर हो रहा है
इनसे न आज रहा जाये रे -२देखो मस्त ज़माने आये रे हाय रे
ख़ुशियों के चाँद मुस्कुरये रे ओ ओ ओ
ख़ुशियों के चाँद मुस्कुरये रे
देखो मस्त ज़माने आये रे हाय रे
ख़ुशियों के चाँद मुस्कुरये रे