कुछ तो होगा जो किसी के दर पे आ जाता हूँ मैं - The Indic Lyrics Database

कुछ तो होगा जो किसी के दर पे आ जाता हूँ मैं

गीतकार - ज़िया सरहदी | गायक - तलत महमूद | संगीत - गुलशन सूफी | फ़िल्म - घमण्ड | वर्ष - 1955

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कुछ तो होगा जो किसी के दर पे आ जाता हूँ मैं
देख कर सूरत किसी की और चला जाता हूँ मैं
क्या पता वो मुझपे शायद रहम फ़रमाने लगें
अपना हाल-ए-बेक़सी उनको सुना आता हूँ मैं
मेरा मक़सद माँगना है वो मुझे कुछ दें न दें
अपना दामन उनके आगे रोज़ फैलाता हूँ मैं
मुझसे पूछो क्या मज़ा है मीठी-मीठी चोट में
नाउम्मीदी में उम्मीदों का मज़ा पाता हूँ मैं