वतनपरस्तों की ये बस्ती है - The Indic Lyrics Database

वतनपरस्तों की ये बस्ती है

गीतकार - देव कोहली | गायक - सहगान, हंस राज हंस | संगीत - आनंद राज आनंद | फ़िल्म - 23 मार्च 1931 शहीद | वर्ष - 2002

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वतनपरस्तों की ये बस्ती है
इनका शेवा वफ़ापरस्ती है
ओ सर कटाते हैं जान देते हैं
ऐ अर्श से ऊँची इनकी हस्ती हैजान भी दे देंगे हम अपनी
जंग अभी है जारी
नहीं हटेंगे पीछे हरगिज़
पूरी है तैयारीकर्म त्यागूँ मर्म त्यागूँ
देश की खातिर धर्म त्यागूँ
देश ही धर्म कर्म है मेरा
अंग अंग अपना मैं त्यागूँ
जीवन का हर क्रम त्यागूँवन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम
वन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम
वन्दे मातरम