आ फिर से मेरे प्यार की क़िस्मत सँवार दे - The Indic Lyrics Database

आ फिर से मेरे प्यार की क़िस्मत सँवार दे

गीतकार - जान निसार अख्तर | गायक - लता | संगीत - रोशन | फ़िल्म - बाराती | वर्ष - 1954

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आ फिर से मेरे प्यार की क़िस्मत सँवार दे
उजड़े हुए चमन को पयाम-ए-बहार दे

जब तू नहीं तो दिल भी नहीं इख़्तियार में
इक उम्र काट दी है तेरे इन्तज़ार में
इस बेक़रार दिल को कभी तो क़रार दे
उजड़े हुए चमन को ...

कब से मेरा ख़याल तेरे दिल से दूर है
कश्ती किसी ग़रीब की साहिल से दूर है
आ अब तो आ के मुझ को किनारे उतार दे
उजड़े हुए चमन को ...$