जमीं भी वाही है वाही आसमान: - The Indic Lyrics Database

जमीं भी वाही है वाही आसमान:

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी, सैफुद्दीन सैफ | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रोशन | फ़िल्म - चांदनी चोक | वर्ष - 1954

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ज़मीं भी वही है, वही आसमाँ
मगर अब वो दिल्ली की गलियाँ कहाँयहाँ पर ठिकाना किसी का नहीं
ये ज़ालिम ज़माना किसी का नहीं
यहाँ लुट गए कितने ही कारवान
कहाँ हैं वो दिल्ली की गलियाँ कहाँवो उल्फ़त निगाहों में बाक़ी नहीं
वो महफ़िल नहीं है वो साथी नहीं
हुई बंद इनसानियत की ज़ुबाँ
इलाही वो दिल्ली की गलियाँ कहाँगया मौसम-ए-गुल बहारों के साथ
वो दुनिया गई ताजदारों के साथ
ज़माना गया रह गई दास्ताँ
वो दिल्ली, वो दिल्ली की गलियाँ कहाँ -३