चुप चुप चुप क्यूँ बैठे हम गुप चुप - The Indic Lyrics Database

चुप चुप चुप क्यूँ बैठे हम गुप चुप

गीतकार - महबूब | गायक - | संगीत - कार्तिक राजा | फ़िल्म - ग्रहण | वर्ष - 1999

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चुप चुप चुप चुप चुप चुप क्यूं बैठे हम गुप चुप
हम तुम में तुम हम में हो जाते हैं गुम गुम गुम
के छुप छुप जाऊं मैं आँखों में तुम्हारी होए
मेरी साँसों में चलो हो जाओ गुम गुम
चुप चुप चुप अब हो जा चुप चुप चुपखोना है तो नींदों में जा हो जा तू गुम गुम हो हो हो हूं हूं हूं
नींद भी आएगी तो उस दम जब तू प्यार देगा सनम
तेरे सीने से ही लग के कुछ तो चैन पाएंगे हम
अपने होश ना यूं गंवा मुझे ऐसे ना तू सता
मुझसे दूर ही तू रहना मान ले तू कहूं मैं जितना
देख देख मेरी बेचैनी तू समझ ले बात ये मेरी
तुझको समझे अब तो ख़ुदा ही तुझसे मेरी तौबा
चुप चुप चुप ...आजा मुझमें तू डूब जा रग रग में तू समा जा
ऐसे मुझको तू जकड़ ले मेरे होश भी उड़ा दे
कैसी दीवानी कैसी नादां क्यूं करती है परेशां
काबू रख ज़रा तू खुद पे ये एहसान कर दे मुझपे
कर दे मेरी हर तमन्ना पूरी तेरे होते क्यूं रहूं अधूरी
ऐसी वैसी बातें न कर ना छोड़ यूं बहक ना
के छुप छुप जाऊं ...