अब तो इस तरह मेरी आंखों में ख्वाब आते हैं - The Indic Lyrics Database

अब तो इस तरह मेरी आंखों में ख्वाब आते हैं

गीतकार - अहमद फ़राज़ी | गायक - गुलाम अली | संगीत - रफीक हुसैन | फ़िल्म - सादगी (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1997

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अब तो इस तरह मेरी आँखों में ख़ाब आते हैं
जिस तरह आईने चेहरों को तरस जाते हैंएहतियात अहल-ए-मोहब्बत के इसी शहर के लोग
गुल-ब-दस्त आते हैं और ख़्वाबा-रसन जाते हैंजैसे तज़बीज़-ए-तअल्लुक़ की भी रुत हो कोई
ज़ख़्म भरते हैं तो अहबाब भी आ जाते हैंहर कड़ी रात के बाद ऐसी क़यामत गुज़री
सुबहो का ज़िक्र भी आये तो लरज़ जाते हैं