एक ही ख़्वाब कई बार देखा है मैंने - The Indic Lyrics Database

एक ही ख़्वाब कई बार देखा है मैंने

गीतकार - गुलजार | गायक - भूपेंद्र | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - किनारा | वर्ष - 1976

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एक ही ख़्वाब कई बार देखा है मैंने
तूने साड़ी में उरस ली है मेरी चाबियाँ घर की
और चली आई है बस यूँ ही मेरा हाथ पकड़ कर
एक ही ख़्वाब कई बार देखा है मैंने
मेज़ पर फूल सजाते हुए देखा है कई बार
और बिस्तर से कई बार जगाया है तुझको
चलते फिरते तेरे क़दमों की वो आहट भी सुनी है
एक ही ख़्वाब कई बार देखा है मैंने
क्यों चिठ्ठी है या कविता ?
अभी तक तो कविता है
गुनगुनाती हुई निकली है नहा के जब भी
अपने भीगे हुए बालों से टपकता पानी
मेरे चेहरे पे छिटक देती है तू टीकू की बच्ची
एक ही ख़्वाब कई बार देखा है मैंने
ताश के पत्तों पे लड़ती है कभी-कभी खेल में मुझसे
और कभी लड़ती भी है ऐसे कि बस खेल रही है मुझसे
और आगोश में नन्हें को लिए
और जानती हो टीकू
जब तुम्हारा ये ख़्वाब देखा था
अपने बिस्तर पे मैं उस वक़्त पड़ा जाग रहा था