बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा - The Indic Lyrics Database

बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - किशोर कुमार - मोहम्मद रफी | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - दोस्ताना | वर्ष - 1980

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बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना हमारा
वो ख़्वाबों के दिन, वो किताबों के दिन
सवालों की रातें, जवाबों के दिन
कई साल हमने गुजारे यहाँ
यहीं साथ खेले, हुए हम जवाँ
था बचपन बड़ा आशिकाना हमारा
ना बिछड़ेंगे मर के भी हम दोस्तों
हमें दोस्ती की कसम दोस्तों
पता कोई पूछे तो कहते हैं हम
के एक दूजे के दिल में रहते हैं हम
नहीं और कोई ठिकाना हमारा
मेरे साथिया सो न जाना कहीं
कसम है तुझे खो ना जाना कहीं
इसी नींद में डूब जाएगा तू
मुझे ज़िन्दगी भर रुलाएगा तू
घड़ी दो घड़ी ग़म की ये रात है
अकेले नहीं हम ख़ुदा साथ है
गिरे हैं तो क्या है सम्भल जायेंगे
कफ़स तोड़कर हम निकल जायेंगे
बुरा वक़्त है मगर ग़म नहीं
जुदा होने वाले कभी हम नहीं
हमें ज़िन्दगी लूट सकती नहीं
कि ये दोस्ती टूट सकती नहीं
ये है प्यार बरसो पुराना हमारा
शहर में कोई अपने जैसा नहीं
किसी और में ज़ोर ऐसा नहीं
किसी वक़्त चाहे बुला लो हमें
अगर शक़ हो तो आजमा लो हमें
ना जाएगा खाली निशाना हमारा
तुझे छोड़कर मैं परेशान हूँ
तेरी बेरुखी पे मैं हैरान हूँ
मचलकर गले से लगा ले मुझे
मैं रूठा हुआ हूँ मना ले मुझे
न हो जाए रुसवा फ़साना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना हमारा