ऐ हुस्न-परी-चेहरा क्यों इतनी दर्दमंद हो - The Indic Lyrics Database

ऐ हुस्न-परी-चेहरा क्यों इतनी दर्दमंद हो

गीतकार - हसरत | गायक - रफी | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - अमन | वर्ष - 1967

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ऐ हुस्न-परी-चेहरा क्यों इतनी दर्दमंद हो
दुनिया की मंज़िलों पर तुम ही मुझे पसंद हो
शबनम के दिल की धड़कन महसूस कर रही हो
तुम कितनी नर्म-दिल हो आहें सी भर रही हो
ऐ हुस्न-परी-चेहरा ...
इतना ख़्याल कोई करता नहीं किसी का
तुमने बदल दिया है रुख़ मेरी ज़िन्दगी का
ऐ हुस्न-परी-चेहरा ...
सब कुछ था पास मेरे लेकिन न ये ख़ुशी थी
पूरी हुई है तुमसे जीवन में जो कमी थी
ऐ हुस्न-परी-चेहरा ...