ऐ हुस्न ज़रा जाग तुझे इश्क जगाये - The Indic Lyrics Database

ऐ हुस्न ज़रा जाग तुझे इश्क जगाये

गीतकार - शकील | गायक - रफी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - मेरे महबूब | वर्ष - 1963

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ऐ हुस्न ज़रा जाग तुझे इश्क जगाये
बदले मेरी तकदीर जो तू होश में आये
ये प्यार के नगमे ये मुहब्बत के तराने
तुझको बड़े अरमान से लाया हूँ सुनाने
उम्मीद मेरे दिल की कहीं टूट न जाये
ये हुस्न ...
साज़-ए-दिले खामोश में एक सोज जगा दे
तू भी मेरी आवाज़ में आवाज़ मिला दे
आया हूँ तेरे दर पे बड़ी आस लगाये
ये हुस्न ...
ऐ शम्मा तू आजा ज़रा चिलमनसे निकलके
हसरत है कि रहा जाऊं तेरी आग में जलके
परवाना वो क्या तुझपे जो मिटकर ना दिखा दे
ये हुस्न ...