बंदा परवर, थाम लो जिगर, बन के प्यार फिर आया हूँ - The Indic Lyrics Database

बंदा परवर, थाम लो जिगर, बन के प्यार फिर आया हूँ

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - ओ. पी. नय्यर | फ़िल्म - फिर वही दिल लाया हूं | वर्ष - 1963

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बंदा परवर, थाम लो जिगर, बन के प्यार फिर आया हूँ
खिदमत में आप की हुजूर, फिर वोही दिल लाया हूँ
जिस की तड़प से रुख़ पे तुम्हारे आया निखार गज़ब का
जिस के लहू से और भी चमका रंग तुम्हारे लब का
गेंसू खुले जंजीर बने और भी तुम तसबीर बने
आईना दिलदार का, नज़राना प्यार का, फिर वोही दिल लाया हूँ
मेरी निगाह-ए-शौख से बचकर यार कहाँ जाओगे
पाँव जहाँ रख दोगे अदा से दिल को वहीं पाओगे
रहूँ जुदा ये मजाल कहाँ, जाऊँ कहीं ये ख़याल कहाँ
बंदा दिलदार का, नज़राना प्यार का, फिर वोही दिल लाया हूँ