जैसे इक चंद का तुकड़ा - The Indic Lyrics Database

जैसे इक चंद का तुकड़ा

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - कविता कृष्णमूर्ति, मोहम्मद अजीज, नितिन मुकेश | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - इंतकाम | वर्ष - 1988

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जैसे इक चाँद का टुकड़ा इस गली में ऐसा मुखड़ा
भई किसका है इसका है हाँ हाँ इसका हैआँखों का रंग गुलाबी इस गली में चाल शराबी
भई किसकी है इसकी है हाँ हाँ इसकी हैदिन छोटे लम्बी रातें अब गली गली में बातें
भई किनकी हैं इनकी हैं हाँ हाँ इनकी हैंहो चैन चुरा ले चाहे नींद उड़ा ले चाहे
सच कहते हैं लोग ये दिल का रोग लगा देता है
ऐसा ये प्यार निगोड़ा अब हाल ये थोड़ा थोड़ा
भई किनका हैं इनका हैं हाँ हाँ इनका हैंदिल फ़िदा करते हैं जो फ़िदा करते हैं
थोड़े से हैं यार जो करके प्यार वफ़ा करते हैं
झूठी है ये दुनिया सारी दुनिया में सच्ची यारी
भई किनकी हैं इनकी हैं हाँ हाँ इनकी हैंलोगों का है रेला बस्ती में है मेला
इस मेले में एक मेरे बिन हो कोई नहीं अकेला
देखो ये अकल कहां की हाज़िर हम सारे साथी
भई किसके हैं इसके हैं हाँ हाँ इसके हैं