हम जब सिमट के आप की बाहों में आ गये - The Indic Lyrics Database

हम जब सिमट के आप की बाहों में आ गये

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - आशा - महेंद्र कपूर | संगीत - रवि | फ़िल्म - वक्त | वर्ष - 1965

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हम जब सिमट के आप की बाँहों में आ गए
लाखों हसीन ख़्वाब निगाहों में आ गए
खुशबू चमन को छोड़ के साँसों में घुल गई
लहरा के अपने आप जवां जुल्फ़ खुल गई
हम अपनी दिलपसंद पनाहों में आ गए
कह दी है दिल की बात नज़ारों के सामने
इकरार कर लिया है बहारों के सामने
दोनों जहां आज गवाहों में आ गए
मस्ती भरी घटाओं की परछाईयों तले
हाथों में हाथ थाम के जब साथ हम चलें
शाखों से फूल टूट के राहों में आ गए