चांद मद्धम है आसमां चुप है - The Indic Lyrics Database

चांद मद्धम है आसमां चुप है

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - रेलवे प्लेटफ़ार्म | वर्ष - 1955

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चांद मद्धम है आसमां चुप है
नींद की गोद में जहां चुप है
दुर वादी में दूधिया बादल
झुक के पर्वत को प्यार करते हैं
दिल में नाकाम हसरतें लेकर
हम तेरा इंतजार करते हैं
इन बहारों के सायें में आ जा
फिर मोहब्बत जवां रहे ना रहे
ज़िंदगी तेरे नामुरादों पर
कल तलक़ मेहरबां रहे ना रहे
रोज कि तरह आज भी तारे
सुबह कि गर्द में ना खो जाएं
आ तेरे ग़म में जागती आंख़ें
कम से कम एक रात सो जाएं
चांद मद्धम है आसमां चुप है
नींद की गोद में जहां चुप है