कोई दिन जिंदगी के गुणगुणा कर हि बिताता है - The Indic Lyrics Database

कोई दिन जिंदगी के गुणगुणा कर हि बिताता है

गीतकार - | गायक - मुकेश | संगीत - अशोक घोष | फ़िल्म - गुंजन | वर्ष - 1948

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कोई दिन ज़िन्दगी के गुनगुना कर ही बिताता है
कोई पा कर के खोता है कोई खो कर के पाता हैहमारी ज़िन्दगी भी क्या कभी हँसना कभी रोना
जिसे हम अपना कहते हैं वो हमसे दूर जाता हैउम्मीदें लुट गईं जिसकी तसव्वुर छिन गया जिसका
वो कश्ती आप ही गहरे समन्दर में डुबाता हैअगर दिल हो गया वीराँ करूँगा मौत से उल्फ़त
किसी बद्हाल पर अब कौन दो आँसू बहाता हैकिसी के चैन से आराम से क्या वास्ता अपना
न कोई साथ देता है न कोई पास आता है